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Tuesday, 25 April 2017

अनजान भाभी को दोस्त बना के चोदा

हैल्लो दोस्तों, आप सब का मेरी नई हिंदी भाभी सेक्स कहानी में स्वागत है। यह कहानी है अनजान भाभी को दोस्त बना के चोदा। मेरा नाम करन है और में दिल्ली का रहने वाला हूँ, मेरी हाईट 6 फुट है, में दिखने में स्मार्ट हूँ, मेरा लण्ड 7 इंच लम्बा है। अब में आपको बोर ना करते हुए सीधे अपनी स्टोरी पर आता हूँ।
एक दिन में सुबह-सुबह अपने एरटेल स्टोर पर बिल जमा करने पहुँचा था तो मैंने देखा कि वहाँ पर एक भाभी पहले से ही बैठी थी, क्या लग रही थी वह भाभी? फिर क्या था, में भी जाकर उनके बराबर में बैठ गया और जब में उन्हें देख रहा था, तब अचानक उनकी नजर भी मुझ पर पड़ी और वह भी मुझे देखने लगी, वो भाभी दिखने में एकदम क्या माल लग रही थी, उनके क्या गुलाबी होंठ थे। अब मेरा मन कर रहा था कि बस इन पर अपना लंड रख दूँ और जब भाभी अपना फॉर्म भर रही थी? तब मैंने चुपके से उनका मोबाईल नंबर ले लिया, शायद उन्हें भी पता चल गया था कि में उनका नंबर ले रहा हूँ। अब में खुश हो गया और वापस अपने घर आ गया। फिर मैंने घर पहुँचते ही उनके नंबर पर मैसेज किया, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। फिर दो दिन के बाद मैंने उस नंबर पर कॉल की तो वो भाभी की ही आवाज़ थी। फिर मैंने हैल्लो बोला और कट कर दिया।
फिर उधर से कॉल आई, तो फिर मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया और वो शुरू में थोड़ी नाराज हुई। फिर मैंने उन्हें समझा दिया और मैंने उनसे उनका नाम पूछा, तो उन्होंने अपना नाम पारूल बताया और हमने एक दूसरे को बाय बोला और कॉल कट कर दी। फिर मैंने शाम को कॉल की और मेरी उनसे काफ़ी देर बातचीत हुई। फिर मैंने उनके घरवालों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके पति का अपना बिज़नेस है और वो रात को लेट ही आते है और कभी-कभी नहीं भी आते है। उनके एक 5 साल का बेटा है। बस वो घर में अपना सारा दिन उसी के साथ बिताती है। फिर हमारी बातें थोड़ी और ज़्यादा होने लगी और फिर क्या था? अब जब भी वो अकेला महसूस करती थी तो वो मुझसे बातें करने लग जाती। फिर एक दिन उन्होंने फोन करके बोला कि मेरे साथ घूमने जाना चाहती है, लेकिन में किसी को कुछ नहीं बताऊँगा तो मैंने कहा कि ठीक है और हम गार्डेन घूमने गये और वहाँ बैठकर बात करने लगे। तभी मैंने उनके हाथ पर अपना हाथ रख दिया तो उन्होंने कुछ नहीं कहा और अब मैंने भी अपना हाथ उनके हाथ से हटाकर उनके कन्धे पर रख दिया और उसने भी मुझसे कुछ नही कहा बस चुप रही। अब हमारे हाथ एक दूसरे के हाथों में थे और हम एक दूसरे से चिपक कर बैठे थे।
अब हम दोनों के दिलो के अरमान बाहर निकलने को किलकारी मार रहे थे, लेकिन कुछ कह नहीं पा रहे थे। तभी भाभी ने अपना सिर मेरे कंधे पर रखा और चुप रही। अब में उनके गालों और बालों को टच करने लगा था। तभी मैंने अचानक से कहा कि भाभीजी आई लाइक यू, फिर क्या था भाभीजी मुस्कुराने लगी और अब में भी समझ गया कि भाभीजी भी मुझे पसंद करते है। फिर कुछ देर के बाद उन्होंने घर चलने को कहा तो मैंने कहा कि रूको। फिर उन्होंने कहा कि मेरा बेटा स्कूल से आ गया होगा और हम चले गये। फिर शाम को भाभीजी ने कहा कि चाय पीने घर आ जाओ। फिर क्या था में उनके घर पर चला गया, जब में उनके घर पहुंचा तो मैने देखा कि उनका बेटा नीचे खेलने गया हुआ था। फिर वो अपने और मेरे लिए चाय बनाकर लाई और मेरे साथ बैठ गई। फिर मैंने उनसे जवाब माँगा कि आपने मेरी बात का जवाब नहीं दिया, तो उन्होंने कहा कि में आपको पसंद तो करती हूँ, लेकिन इसके आगे कुछ नहीं कर सकती। मैंने कहा कि ठीक है तो क्या हुआ? और फिर में चाय पीकर वापस अपने घर आ गया, लेकिन अब भाभीजी के अरमान मेरे लिए जाग चुके थे और फिर हमने पूरी रात बात की और मैंने भाभीजी को फोन पर 2-3 बार किस किया तो फिर भाभीजी ने भी उधर से बातों-बातों में किस की। फिर अगले दिन भाभीजी ने मुझे फिर से मिलने को बुलाया तो में भी चला गया। तब भाभीजी ने लंच तैयार किया हुआ था। भाभीजी क्या माल लग रही थी? फिर हम दोनों ने लंच किया और बातें करने लगे। फिर बातों ही बातों मे भाभीजी ने मुझसे आई लव यू बोल दिया। अब मुझे कुछ समझ में आता इससे पहले ही भाभीजी मुझसे लिपट गई और मेरे माथे को चूमने लगी। फिर मैंने भी पारूल को अपनी बाहों में कस लिया और उनको किस करने लगा। अब वो मदहोश होने लगी थी। फिर हम दोनों सोफे पर बैठ गये और किस करने लगे। उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोलकर मेरी छाती को चूम लगे। फिर मैंने भी उसका कुर्ता निकाल दिया, वो क्या अप्सरा लग रही थी? अब में उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही काटने लगा था। जब मैंने उनको पूरा मदहोश कर दिया था, तब वो मुझसे कस कर लिपटने लगी थी। अब मेरा भी लंड पूरा तैयार था तो में अपनी शर्ट निकालकर सोफे पर लेट गया और उन्होंने मेरी पेंट और अंडरवियर उतार कर वो मेरी पूरी बॉडी को चूमने लगी और काटने लगी थी। अब हम दोनों आउट ऑफ कंट्रोल थे।