हेलो दोस्तो मेरा नाम स्वीटी है, मेरी उम्र १८ साल है।यह मेरी और मेरी दीदी के लेस्बियन सेक्स का पहला अनुभव की है। दीदी ने मुझे लेस्बियन बना के लेस्बो सेक्स का मजा दिलाया। मेरे घर में कुल पांच लोग थे, मेरे पिताजी, माँ , बड़ी बहन, बड़ा भाई और मैं।
मेरी बड़ी बहेन ५ साल बड़ी थी और भाई ३ साल बड़ा। मेरी दीदी कोमल अभी दुसरे शहर में MBA कर रही है और भाई मुंबई में MBBS कर रहा है।
मेरी बड़ी बहेन ५ साल बड़ी थी और भाई ३ साल बड़ा। मेरी दीदी कोमल अभी दुसरे शहर में MBA कर रही है और भाई मुंबई में MBBS कर रहा है।
मेरी कहानी वहासे शुरू हुई जब मेरी बहन BBA के फायनल में थी और मै 12th में उसका भाई एक साल पहले मुंबई गया था।
मेरा और मेरी दीदी का कमरा आजू बाजू में ही था
एक दिन जब माँ पिताजी बहार गाव गए थे
घर में सिर्फ मै और नेहा ही थे। मै जब दोपहर घर लौटी तो कोमल दीदी के कमरेसे कुछ आवाजे सुनी।
कुछ धीमी धीमी आवाजे आ रही
“आऊं.. उम्म्म्म.. उम्म्म्म.. चुउप्प्प.. आउउम्म्म.. अआम्म्म्म.. चुउप्प्प.. उम्म्म्म.. आउउम्म्म..”
मेरी तो कुछ समझ में नहीं आया
मै दीदी के बेडरूम के दरवाजे के पास गयी तो फिरसे वो मद्धिम आवाज आयी
“हह। ह्हाआ। ह्हाआं। ह्हाआम्म्म। ह्हाआम्म्म। ह्हाआम्म्म। ओह्ह ओह्ह्ह ओह्ह। “
मै दरवाजा खटखटाने वालि थी। लेकिन मैंने महसूस किया की ये आवाज तो कोमल दिदी की नहीं है
मैं कान लगा के सुनने लगी।
“औम्म्म। हिस्स। चुय्पुक्क्क। उउम्म्म अह्ह्ह। ओह्ह्ह। आह्छ्ह “
शर्त से ये कोमल दिदी की आवाज नहीं थी। मै सुनने की कोशिश करती रही। मेरेकान दरवाजे पर चिपके थे
थोड़ी देर बाद मुझे कोमल दिदी की हलकी आवाज सुनाई दी
“स्स्स्स्स्स्स्सीईईईईई।आ।आ।ह।”
जैसे दिदी को दर्द हो रहा हो
लेकिन वो दूसरी आवाज पता नहीं किस लड़की की थी।
मैंने की होल से अन्दर की ओर झाँका। करे में मद्धिम रौशनी थी। मुझे कोमल दिदी का बेड दिखाई दिया। दिदी उसपर पसरी पड़ी थी। उसकी नाइटी अस्तव्यस्त हो गयी थी
उसकी गोद में लैपटॉप था। शायद वो उसपर कुछ देख रही थी।
कोमल दिदी का एक हाथ उसकी पेंटी में था। और दुसरे हाथ की उंगलिया मुह में।
बिच बिच मे कोमल दिदी के मुह से धिमेसे आवाजे निकल रही थी।
“उम्म्म्म्म ह्म्म्म स्स्स स्स्स”
अन्दर का दृश्य देख कर मै मंत्रमुग्ध्सी खडी थी। मेरे अन्दर कुछ अन्जानिसी सिहरन दौड़ रही थी।
न जाने क्यों। मैंने दरवाजा खटखटाने का इरादा रद्द कर दिया।और की होल से अन्दर देखती रही।
थोड़ी देर बाद कोमल दिदी के हाथो की हरकते तेज हो गयी। अब वो एक हाथ से पेंटी में पेशाब वाली जगह कुछ कर रही थी और दूसरे हाथ से अपनी छातियो को दबा रही थी।
उसकी ब्रा भी सरक चुकी थी। मैंने पहली बार कोमल दिदी के स्तनोका दर्शन किया।
दिदी की छातिया बड़ी बड़ी थी।उसके निप्पल्स भूरे थे। वो कभी कभार उनको भी पकड़कर मसल रही थी। जैसे ही वो अपने निप्पल्स को मसलती उसके मुह से
“स्स्स्स्स्स्स्सीईईईईई।आ।आ।ह।” निकलता था।
मै ये दृश्य पहली बार देख रही थी।मेरा रक्तप्रवाह बढ़ गया। मेरी साँसे तेज़ हो गयी। मेरी समझ में नहीं आया।की ऐसा क्यों हो रहा है।
कोमल दिदी की हरकतों के साथ साथ उसकी आवाजे भी बढती गयी।
और फिर अचानक कोमल दिदी का शारीर ऐठ गया। उसने अपने हाथ से अपने पेशाब वाली जगह बाबा रही थी। और वो अपना सर झटकने लगी।
थोड़ी देर बाद दिदी शांत हुई। उसने लैपटॉप को बंद कर के बाजू में रखा। उठ के बैठी
और अपने कपडे ठीक करने लगी।
मैं समझ गयी की अब दिदी बहार आने वाली है। तो मैं झटसे बहार हॉल में गयी। और जोरसे दिदी को आवाज लगाई
थोड़ी देर बाद कोमल दिदी तैयार हो कर हॉल में आयी। उसने उसकी फेवरेट जींस और टॉप पहना था।
दिदी:“अरे स्वीटी। तुम कब आयी “
स्वीटी:”बस अभी अभी आयी हूँ।”
दिदी: “अच्छा चल तू फ्रेश हो ले। तब तक मैं बाहरसे कुछ खाने को लाती हूँ”
हमारे माँ और पिताजी बहार गाव गए थे इसलिए खाना दिदी ही बनाने वाली थी
स्वीटी: “क्यों दिदी। तुमने घर पे कुछ नहीं बनाया क्या ?”
दिदी : “ हा रे। मेरे सर में हल्का सा दर्द था। इसलिए कुछ नहीं बना पाई।आज बहार से कुछ लाती हूँ “
स्वीटी:”सर में बहोत दर्द है क्या? लाओ मैं दबा दू “
दिदी : “अरे अब दर्द नहीं है। सबेरे था। अब मै बिलकुल ठीक हूँ”
इतना कहके कोमल दिदी ने मुझे गले लगाया और मेरे गालो पर किस किया।
स्वीटी:”ठीक है दिदी। तुम जाओ। मै तब तक फ्रेश होती हूँ “
दिदी बहार गयी मैंने मेन डोर को अंदरसे लोक किया। मेरी
मेरा और मेरी दीदी का कमरा आजू बाजू में ही था
एक दिन जब माँ पिताजी बहार गाव गए थे
घर में सिर्फ मै और नेहा ही थे। मै जब दोपहर घर लौटी तो कोमल दीदी के कमरेसे कुछ आवाजे सुनी।
कुछ धीमी धीमी आवाजे आ रही
“आऊं.. उम्म्म्म.. उम्म्म्म.. चुउप्प्प.. आउउम्म्म.. अआम्म्म्म.. चुउप्प्प.. उम्म्म्म.. आउउम्म्म..”
मेरी तो कुछ समझ में नहीं आया
मै दीदी के बेडरूम के दरवाजे के पास गयी तो फिरसे वो मद्धिम आवाज आयी
“हह। ह्हाआ। ह्हाआं। ह्हाआम्म्म। ह्हाआम्म्म। ह्हाआम्म्म। ओह्ह ओह्ह्ह ओह्ह। “
मै दरवाजा खटखटाने वालि थी। लेकिन मैंने महसूस किया की ये आवाज तो कोमल दिदी की नहीं है
मैं कान लगा के सुनने लगी।
“औम्म्म। हिस्स। चुय्पुक्क्क। उउम्म्म अह्ह्ह। ओह्ह्ह। आह्छ्ह “
शर्त से ये कोमल दिदी की आवाज नहीं थी। मै सुनने की कोशिश करती रही। मेरेकान दरवाजे पर चिपके थे
थोड़ी देर बाद मुझे कोमल दिदी की हलकी आवाज सुनाई दी
“स्स्स्स्स्स्स्सीईईईईई।आ।आ।ह।”
जैसे दिदी को दर्द हो रहा हो
लेकिन वो दूसरी आवाज पता नहीं किस लड़की की थी।
मैंने की होल से अन्दर की ओर झाँका। करे में मद्धिम रौशनी थी। मुझे कोमल दिदी का बेड दिखाई दिया। दिदी उसपर पसरी पड़ी थी। उसकी नाइटी अस्तव्यस्त हो गयी थी
उसकी गोद में लैपटॉप था। शायद वो उसपर कुछ देख रही थी।
कोमल दिदी का एक हाथ उसकी पेंटी में था। और दुसरे हाथ की उंगलिया मुह में।
बिच बिच मे कोमल दिदी के मुह से धिमेसे आवाजे निकल रही थी।
“उम्म्म्म्म ह्म्म्म स्स्स स्स्स”
अन्दर का दृश्य देख कर मै मंत्रमुग्ध्सी खडी थी। मेरे अन्दर कुछ अन्जानिसी सिहरन दौड़ रही थी।
न जाने क्यों। मैंने दरवाजा खटखटाने का इरादा रद्द कर दिया।और की होल से अन्दर देखती रही।
थोड़ी देर बाद कोमल दिदी के हाथो की हरकते तेज हो गयी। अब वो एक हाथ से पेंटी में पेशाब वाली जगह कुछ कर रही थी और दूसरे हाथ से अपनी छातियो को दबा रही थी।
उसकी ब्रा भी सरक चुकी थी। मैंने पहली बार कोमल दिदी के स्तनोका दर्शन किया।
दिदी की छातिया बड़ी बड़ी थी।उसके निप्पल्स भूरे थे। वो कभी कभार उनको भी पकड़कर मसल रही थी। जैसे ही वो अपने निप्पल्स को मसलती उसके मुह से
“स्स्स्स्स्स्स्सीईईईईई।आ।आ।ह।” निकलता था।
मै ये दृश्य पहली बार देख रही थी।मेरा रक्तप्रवाह बढ़ गया। मेरी साँसे तेज़ हो गयी। मेरी समझ में नहीं आया।की ऐसा क्यों हो रहा है।
कोमल दिदी की हरकतों के साथ साथ उसकी आवाजे भी बढती गयी।
और फिर अचानक कोमल दिदी का शारीर ऐठ गया। उसने अपने हाथ से अपने पेशाब वाली जगह बाबा रही थी। और वो अपना सर झटकने लगी।
थोड़ी देर बाद दिदी शांत हुई। उसने लैपटॉप को बंद कर के बाजू में रखा। उठ के बैठी
और अपने कपडे ठीक करने लगी।
मैं समझ गयी की अब दिदी बहार आने वाली है। तो मैं झटसे बहार हॉल में गयी। और जोरसे दिदी को आवाज लगाई
थोड़ी देर बाद कोमल दिदी तैयार हो कर हॉल में आयी। उसने उसकी फेवरेट जींस और टॉप पहना था।
दिदी:“अरे स्वीटी। तुम कब आयी “
स्वीटी:”बस अभी अभी आयी हूँ।”
दिदी: “अच्छा चल तू फ्रेश हो ले। तब तक मैं बाहरसे कुछ खाने को लाती हूँ”
हमारे माँ और पिताजी बहार गाव गए थे इसलिए खाना दिदी ही बनाने वाली थी
स्वीटी: “क्यों दिदी। तुमने घर पे कुछ नहीं बनाया क्या ?”
दिदी : “ हा रे। मेरे सर में हल्का सा दर्द था। इसलिए कुछ नहीं बना पाई।आज बहार से कुछ लाती हूँ “
स्वीटी:”सर में बहोत दर्द है क्या? लाओ मैं दबा दू “
दिदी : “अरे अब दर्द नहीं है। सबेरे था। अब मै बिलकुल ठीक हूँ”
इतना कहके कोमल दिदी ने मुझे गले लगाया और मेरे गालो पर किस किया।
स्वीटी:”ठीक है दिदी। तुम जाओ। मै तब तक फ्रेश होती हूँ “
दिदी बहार गयी मैंने मेन डोर को अंदरसे लोक किया। मेरी